एक नए अध्ययन में सामने आया है कि जो लड़के सहानुभूति जताते हैं, वो लड़कियों को सहानुभूति नहीं जताने वाले लड़कों की तुलना में ज्यादा आकर्षित कर लेते हैं। शोध में पाया गया कि सहानुभूति जताने वाले लड़को से 1.8 अधिक लड़कियां आकर्षित हुईं।
यह पहला अध्ययन है जिसमें पाया गया कि वयस्क पुरुष और महिलाएं सहानुभूति जताने वाले सहपाठियों को दोस्त के रूप में चुनते हैं।
ये शोध ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर पॉजिटिव साइकोलॉजी एंड एजुकेशन में किया गया। ये शोध ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च काउंसिल से आर्थिक सहायता प्राप्त था, जिसका नेतृत्व प्रोफेसर जोसेफ सिएरोची ने किया। क्वींसलैंड और न्यू साउथ वेल्स में औसतन 15.7 साल उम्र के 10वीं कक्षा के 1970 छात्रों पर किए गए अध्ययन का यह नतीजा निकला कि लड़कियों ने उन लड़कों को अपने दोस्त के रूप में नॉमिनेट किया, जो सहानुभूति जताने वाले थे।
इसके विपरीत सहानुभूति जताने वाली लड़कियों को लड़कों ने इतना पसंद नहीं किया। अध्ययन में पाया गया कि हमदर्दी जताने वाली लड़कियों ने ज्यादा संख्या में पुरुष मित्रों को अपनी ओर आकर्षित नहीं किया। दोस्ती के लिए सबसे ज्यादा नामांकन उस लड़के को मिले, जिसके बारे में लगा कि वह अपने दोस्तों के साथ ज्यादा मददगार था। वहीं, लड़कियों को इस आधार पर कोई अधिक मदद नहीं मिली। यह अध्ययन जर्नल ऑफ पर्सनॉलिटी में प्रकाशित हुआ है।
यह पहला अध्ययन है जिसमें पाया गया कि वयस्क पुरुष और महिलाएं सहानुभूति जताने वाले सहपाठियों को दोस्त के रूप में चुनते हैं।
ये शोध ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर पॉजिटिव साइकोलॉजी एंड एजुकेशन में किया गया। ये शोध ऑस्ट्रेलियाई रिसर्च काउंसिल से आर्थिक सहायता प्राप्त था, जिसका नेतृत्व प्रोफेसर जोसेफ सिएरोची ने किया। क्वींसलैंड और न्यू साउथ वेल्स में औसतन 15.7 साल उम्र के 10वीं कक्षा के 1970 छात्रों पर किए गए अध्ययन का यह नतीजा निकला कि लड़कियों ने उन लड़कों को अपने दोस्त के रूप में नॉमिनेट किया, जो सहानुभूति जताने वाले थे।
इसके विपरीत सहानुभूति जताने वाली लड़कियों को लड़कों ने इतना पसंद नहीं किया। अध्ययन में पाया गया कि हमदर्दी जताने वाली लड़कियों ने ज्यादा संख्या में पुरुष मित्रों को अपनी ओर आकर्षित नहीं किया। दोस्ती के लिए सबसे ज्यादा नामांकन उस लड़के को मिले, जिसके बारे में लगा कि वह अपने दोस्तों के साथ ज्यादा मददगार था। वहीं, लड़कियों को इस आधार पर कोई अधिक मदद नहीं मिली। यह अध्ययन जर्नल ऑफ पर्सनॉलिटी में प्रकाशित हुआ है।
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