संभोग को लेकर एक रिसर्च में जो खुलासा हुआ है, उसे सुनकर आप चौंक जाएंगे। वैज्ञानिकों का दावा है कि संभोग के दौरान जो हॉर्मोन रिलीज होता है, उससे अध्यात्म को बढ़ावा मिलता है और भगवान के प्रति आस्था मजबूत होती है।
रिसर्च के मुताबिक, संभोग क्रिया के दौरान ऑक्सिटॉसिन नाम का हॉर्मोन निकलता है। यह हॉर्मोन न सिर्फ सामाजिक बंधन को मजबूत करता है और महिलाओं में बच्चों के जन्म में मदद करता है बल्कि धर्म के प्रति लगाव को भी बढ़ाता है। अमेरिकी की ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक टीम ने यह रिसर्च किया है।
स्टडी के दौरान उनलोगों ने मध्य आयु के लोगों में ऑक्सिटॉसिन के स्तर को बढ़ाया और उनके अंदर आध्यात्म की भावना बढ़ी हुई पाई गई। इसका असर एक हफ्ते के बाद भी रहा। जिनलोगों को हॉर्मोन प्राप्त हुआ, मेडिटेशन के दौरान उनमें ज्यादा पॉजिटिव इमोशंस पाए गए।
स्टडी के लीथ ऑथर और सोशल साइकॉलजिस्ट पैटी वॉन कापैलन ने कहा, 'अध्यात्म और ध्यान स्वास्थ्य और कल्याण से आपस में जुड़े हुए हैं। हम उन जैविक कारकों के बारे में जानने के लिए इच्छुक थे, जो आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाते हैं। ऑक्सिटॉसिन को आध्यात्मिक सोच को बढ़ावा देने में सहायक पाया गया।'
रिसर्च के मुताबिक, संभोग क्रिया के दौरान ऑक्सिटॉसिन नाम का हॉर्मोन निकलता है। यह हॉर्मोन न सिर्फ सामाजिक बंधन को मजबूत करता है और महिलाओं में बच्चों के जन्म में मदद करता है बल्कि धर्म के प्रति लगाव को भी बढ़ाता है। अमेरिकी की ड्यूक यूनिवर्सिटी की एक टीम ने यह रिसर्च किया है।
स्टडी के दौरान उनलोगों ने मध्य आयु के लोगों में ऑक्सिटॉसिन के स्तर को बढ़ाया और उनके अंदर आध्यात्म की भावना बढ़ी हुई पाई गई। इसका असर एक हफ्ते के बाद भी रहा। जिनलोगों को हॉर्मोन प्राप्त हुआ, मेडिटेशन के दौरान उनमें ज्यादा पॉजिटिव इमोशंस पाए गए।
स्टडी के लीथ ऑथर और सोशल साइकॉलजिस्ट पैटी वॉन कापैलन ने कहा, 'अध्यात्म और ध्यान स्वास्थ्य और कल्याण से आपस में जुड़े हुए हैं। हम उन जैविक कारकों के बारे में जानने के लिए इच्छुक थे, जो आध्यात्मिक अनुभव को बढ़ाते हैं। ऑक्सिटॉसिन को आध्यात्मिक सोच को बढ़ावा देने में सहायक पाया गया।'
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