बिहार के अररिया में कासिमनगर को कभी रेड लाइट एरिया के नाम से जाना जाता था। इस गांव में जहां लड़कियों का मतलब सिर्फ सेक्स होता था। यहां पर बीते दिनों की कहानी आपको सोचने पर मजबूर कर देगी कि आज भी देश में ऐसे लोग मौजूद हैं जो अपनी बेटियों से जिस्मफरोशी करवाते हैं। वो इसलिए क्योंकि यहां की लड़कियों को होश संभालते ही जिस्मफरोशी में लगा दिया जाता था।
कहते हैं ना अगर मन में कुछ करने की ठान लो तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में आपका साथ देती है। ऐसा ही जज्बा रखने वाली नुरेशा ने अपनी लगन से कमाल कर दिखाया। नुरेशा ने अपने प्रयासों से न सिर्फ गांव में देह व्यापार का धंधा पूरी तरह बंद करवाया। बल्कि उन्होंने आधा दर्जन से ज्यादा लड़कियों को जिस्मफरोशी के दलदल से निकाला और उनकी शादी करवाई।
यहां घर की बेटी को कमाई का साधन माना जाता था। होश संभालते ही बच्चियों को देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता था। नट जाति में जन्मीं नुरेशा ने होश संभालते ही इसका विरोध शुरू कर दिया था। इस गांव में देह व्यापार का धंधा करीब 90 सालों से चल रहा था। लेकिन पिछले दस-पंद्रह वर्षों से ये बंद हो गया है।
नुरेशा ने इसका विरोध किया तो इस धंधे से जुड़े लोग उनकी जान के दुश्मन बन गए। उनपर कई झूठे मुकदमे लाद दिए गए। इतना ही नहीं मानसिक व आर्थिक प्रताडऩा भी झेलनी पड़ी। लेकिन नुरेशा का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया। उन्होंने इस धंधे से जुड़ी छह लड़कियों को उनकी मर्जी से अपने खर्च पर विवाह कराया। जो इस धंधे को नहीं छोडऩा चाहते थे वे दूसरे शहर चले गए।
कहते हैं ना अगर मन में कुछ करने की ठान लो तो पूरी कायनात उसे पूरा करने में आपका साथ देती है। ऐसा ही जज्बा रखने वाली नुरेशा ने अपनी लगन से कमाल कर दिखाया। नुरेशा ने अपने प्रयासों से न सिर्फ गांव में देह व्यापार का धंधा पूरी तरह बंद करवाया। बल्कि उन्होंने आधा दर्जन से ज्यादा लड़कियों को जिस्मफरोशी के दलदल से निकाला और उनकी शादी करवाई।
यहां घर की बेटी को कमाई का साधन माना जाता था। होश संभालते ही बच्चियों को देह व्यापार के दलदल में धकेल दिया जाता था। नट जाति में जन्मीं नुरेशा ने होश संभालते ही इसका विरोध शुरू कर दिया था। इस गांव में देह व्यापार का धंधा करीब 90 सालों से चल रहा था। लेकिन पिछले दस-पंद्रह वर्षों से ये बंद हो गया है।
नुरेशा ने इसका विरोध किया तो इस धंधे से जुड़े लोग उनकी जान के दुश्मन बन गए। उनपर कई झूठे मुकदमे लाद दिए गए। इतना ही नहीं मानसिक व आर्थिक प्रताडऩा भी झेलनी पड़ी। लेकिन नुरेशा का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया। उन्होंने इस धंधे से जुड़ी छह लड़कियों को उनकी मर्जी से अपने खर्च पर विवाह कराया। जो इस धंधे को नहीं छोडऩा चाहते थे वे दूसरे शहर चले गए।
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