क्या आपको भी पोर्न देखने की आदत है? कम से कम साइकोसेक्सुअल मनोविशेषज्ञ एंजेला ग्रेगरी तो यही मानती हैं कि ऐसा करने वाले बहुत सारी स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। एंजेला ग्रेगरी का कहना है कि पूरी दुनिया में पोर्न देखने वाले युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है और ऐसा युवाओं की आदत में शुमार होता जा रहा है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर के युवाओं के सामने ये सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा है। जाहिर है, भारत भी इस सूची में शुमार है। इस खतरे का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में युवाओं को पोर्न का नशा होता जा रहा है, जिससे भविष्य में कई तरह की परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
भारत जैसे देश पोर्न देखने के मामले में बहुत आगे हैं। खबरों पर यकीन करें तो एक पोर्न वेबसाइट ने पिछले साल का एक आंकड़ा सार्वजनिक किया था, जिसके अनुसार दुनिया में औसतन हरेक व्यक्ति ने पोर्न साइट पर 12 वीडियो देखे। ऐसे लोगों में अमरीकी 41 फीसदी के साथ पहले नंबर पर था , जबकि ब्रिटेन दूसरे नंबर पर, भारत का नंबर तीसरा था। दुनिया भर के लोगों के 4 अरब, 39 करोड़, 24 लाख, 86 हज़ार 580 घंटे पोर्न देखने में ख़र्च हुए। ऐसा नही हैं की केवल मर्दों पर ही ऑनलाइन पोर्नोग्राफ़ी का असर हो रहा है। महिलाओं को भी इसकी आदत हो गई है।
आश्चर्य नहीं है कि इस तरह की आदतों के कारण युवाओं में तरह-तरह की समस्या पैदा हो रही है। एक तरफ तो विवाहित युवक-युवतियां शारीरिक संबंध बनाने से बच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समलैंगिकता के मामलों में भी बढोत्तरी हुई है। 2003 में एसेक्सुअल विज़िबिलिटी ऐंड एजुकेशन नेटवर्क नामक इसी तरह के संबंधों की तरफदारी करने वालों की संख्या 391 थी और आज इसके सदस्यों का आंकड़ा 80 हजार को पार कर चुका है।
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया भर के युवाओं के सामने ये सबसे बड़ा खतरा बन कर उभरा है। जाहिर है, भारत भी इस सूची में शुमार है। इस खतरे का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया भर में युवाओं को पोर्न का नशा होता जा रहा है, जिससे भविष्य में कई तरह की परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
भारत जैसे देश पोर्न देखने के मामले में बहुत आगे हैं। खबरों पर यकीन करें तो एक पोर्न वेबसाइट ने पिछले साल का एक आंकड़ा सार्वजनिक किया था, जिसके अनुसार दुनिया में औसतन हरेक व्यक्ति ने पोर्न साइट पर 12 वीडियो देखे। ऐसे लोगों में अमरीकी 41 फीसदी के साथ पहले नंबर पर था , जबकि ब्रिटेन दूसरे नंबर पर, भारत का नंबर तीसरा था। दुनिया भर के लोगों के 4 अरब, 39 करोड़, 24 लाख, 86 हज़ार 580 घंटे पोर्न देखने में ख़र्च हुए। ऐसा नही हैं की केवल मर्दों पर ही ऑनलाइन पोर्नोग्राफ़ी का असर हो रहा है। महिलाओं को भी इसकी आदत हो गई है।
आश्चर्य नहीं है कि इस तरह की आदतों के कारण युवाओं में तरह-तरह की समस्या पैदा हो रही है। एक तरफ तो विवाहित युवक-युवतियां शारीरिक संबंध बनाने से बच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर समलैंगिकता के मामलों में भी बढोत्तरी हुई है। 2003 में एसेक्सुअल विज़िबिलिटी ऐंड एजुकेशन नेटवर्क नामक इसी तरह के संबंधों की तरफदारी करने वालों की संख्या 391 थी और आज इसके सदस्यों का आंकड़ा 80 हजार को पार कर चुका है।
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