गे लेस्बियन समाज और पुलिस से बचने के लिए स्पेशल भाषा और कोडवर्ड में बात करते हैं। इनके पार्टनर्स में एक मेल और एक फीमेल की तरह रहते हैं। ऐसे लोग जो मेल और फीमेल दोनों की तरफ अट्रेक्ट होते हैं और संबंध बनाते हैं, उन्हें डबल डेकर कहते हैं। वहीं, वे सेक्स को घूरना-घुराना कहते हैं और प्यार को लुबना कहते हैं।
पार्टनर के लिए रखते हैं करवा चौथ का व्रत :- ठाकुरगंज में रहने वाले नीरज सोनकर 12-13 साल की उम्र से ही लड़कों की तरफ अट्रेक्ट होने लगे। उनके पार्टनर से उनका रिलेशन करीब 20 साल तक रहा। उसके लिए वह करवा चौथ का व्रत भी रखते थे। सभी तरह का पति धर्म निभाते थे। लेकिन, पार्टनर ने उनसे बिना बताए शादी कर लिया। इसके बाद नीरज ने आजीवन अविवाहित रहने का फैसला किया। उनके घर में किसी को नहीं पता कि वह गे हैं।
गे-लेस्बियन की होती है खास बातें :- गे और लेस्बियन वर्ल्ड वाइड लेवल पर खास कोडवर्ड में बात करते हैं। इस भाषा को पारसी कहते हैं। फरहान बताते हैं कि ये भाषा बहुत पुरानी है। इसे किन्नरों ने अपनी सेफ्टी के लिए जेनरेट किया था। इसके बाद इसे समलैंगिकों ने अपना लिया। वे जब भी साथ होते हैं अपनी भाषा में ही बात करते हैं।
अप्राकृतिक है संबंध :- अमीनाबाद के ओमप्रकाश के मां-पापा की बचपन में ही मौत हो गई थी। भाई-भाभी ने उन्हें ठुकरा दिया। इसके बाद उनके पार्टनर नीरज ने उन्हें संभाला। वह कहते हैं, 'समझ में नहीं आता समाज, हमें कब हमारे तरीके से रहने देगा। मैं और नीरज एक साथ घूमते हैं। टहलते हैं। डेट करते हैं। लेकिन, शादी नहीं कर पा रहे हैं। हमारा संबंध अप्राकृतिक है और लखनऊ जैसे शहर की मानसिकता बहुत पीछे है। हम साथ रहना चाहते हैं, लेकिन समाज जीने नहीं देगा।'
पार्टनर के लिए रखते हैं करवा चौथ का व्रत :- ठाकुरगंज में रहने वाले नीरज सोनकर 12-13 साल की उम्र से ही लड़कों की तरफ अट्रेक्ट होने लगे। उनके पार्टनर से उनका रिलेशन करीब 20 साल तक रहा। उसके लिए वह करवा चौथ का व्रत भी रखते थे। सभी तरह का पति धर्म निभाते थे। लेकिन, पार्टनर ने उनसे बिना बताए शादी कर लिया। इसके बाद नीरज ने आजीवन अविवाहित रहने का फैसला किया। उनके घर में किसी को नहीं पता कि वह गे हैं।
गे-लेस्बियन की होती है खास बातें :- गे और लेस्बियन वर्ल्ड वाइड लेवल पर खास कोडवर्ड में बात करते हैं। इस भाषा को पारसी कहते हैं। फरहान बताते हैं कि ये भाषा बहुत पुरानी है। इसे किन्नरों ने अपनी सेफ्टी के लिए जेनरेट किया था। इसके बाद इसे समलैंगिकों ने अपना लिया। वे जब भी साथ होते हैं अपनी भाषा में ही बात करते हैं।
अप्राकृतिक है संबंध :- अमीनाबाद के ओमप्रकाश के मां-पापा की बचपन में ही मौत हो गई थी। भाई-भाभी ने उन्हें ठुकरा दिया। इसके बाद उनके पार्टनर नीरज ने उन्हें संभाला। वह कहते हैं, 'समझ में नहीं आता समाज, हमें कब हमारे तरीके से रहने देगा। मैं और नीरज एक साथ घूमते हैं। टहलते हैं। डेट करते हैं। लेकिन, शादी नहीं कर पा रहे हैं। हमारा संबंध अप्राकृतिक है और लखनऊ जैसे शहर की मानसिकता बहुत पीछे है। हम साथ रहना चाहते हैं, लेकिन समाज जीने नहीं देगा।'
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