वर्जिनिटी जैसा कुछ भी नहीं होता, यह सिर्फ लोगों द्वारा रचा गया एक शब्द है। इस शब्द की खोज और इस्तेमाल सिर्फ युवतियों को उनके चरित्र का प्रमाण पत्र देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब भी लोग इस शब्द के बारे में सोचते है तो उनके दिमाग में ऐसी लड़की की तस्वीर बनती है जिसने कभी किसी से यौन संबंध ना बनाये हो।
वास्तव में इस शब्द का संबंध फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन में पाई जाने वाली हाइमन झिल्ली से है। जिसका सुरक्षित होना वर्जिन होने की निशानी माना जाता है और जिसका टूटना या नष्ट होना वर्जिन न होने की पहचान के रूप में देखा जाता है।
गाइनेकोलॉजिस्ट का कहना है कि हाइमन झिल्ली का होना तो सत्य है लेकिन इसका सेक्स संबंध और वर्जिनिटी से कोई संबंध नहीं है। यह सत्य है कि सेक्स के दौरान यह झिल्ली फट जाती है जिस कारण थोड़ा रक्त श्राव भी होता है लेकिन 90 प्रतिशत महिलाओं में यह साइकिल चलाने, घुड़सवारी करने, डांस करने या किसी भी तरह की दूसरी फिजिकल एक्टिविटी के कारण पहले ही नष्ट हो चुकी होती है। इसलिए इससे किसी महिला के चरित्र का अंदाजा लगाना खुद को धोखा देने जैसा है क्योंकि ऐसे में आपके निराश होने के चांस 90 प्रतिशत से भी ज्यादा होंगे।
वास्तव में इस शब्द का संबंध फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन में पाई जाने वाली हाइमन झिल्ली से है। जिसका सुरक्षित होना वर्जिन होने की निशानी माना जाता है और जिसका टूटना या नष्ट होना वर्जिन न होने की पहचान के रूप में देखा जाता है।
गाइनेकोलॉजिस्ट का कहना है कि हाइमन झिल्ली का होना तो सत्य है लेकिन इसका सेक्स संबंध और वर्जिनिटी से कोई संबंध नहीं है। यह सत्य है कि सेक्स के दौरान यह झिल्ली फट जाती है जिस कारण थोड़ा रक्त श्राव भी होता है लेकिन 90 प्रतिशत महिलाओं में यह साइकिल चलाने, घुड़सवारी करने, डांस करने या किसी भी तरह की दूसरी फिजिकल एक्टिविटी के कारण पहले ही नष्ट हो चुकी होती है। इसलिए इससे किसी महिला के चरित्र का अंदाजा लगाना खुद को धोखा देने जैसा है क्योंकि ऐसे में आपके निराश होने के चांस 90 प्रतिशत से भी ज्यादा होंगे।
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