हमारे देश में ऐसे अनेक दार्शनिक हुए हैं जिन्होंने अपने युग की समस्याओं के संदर्भ में मानवता को सच की राह दिखाई। चाणक्य भी उन्हीं में से एक थे। चाणक्य के अनुभवों पर आधारित एक जीवन संहिता है। चाणक्य नीति में ऐसे 3 कामों के बारे में भी बताया गया है जिनमें मनुष्य को शर्म नहीं करनी चाहिए। अगर वह इनमें शर्म करता है तो उसे हानि हो सकती है। जानिए उन 3 कामों के बारे में ...
1. चाणक्य ने जीवन के लिए धन को आवश्यक माना है। उनके मुताबिक अगर कोई मनुष्य धन संबंधी कार्यों में शर्म करता है तो उसका जीवन संकट में पड़ सकता है। निश्चित रूप से जो मनुष्य धन अर्जित करने में शर्म करता है, उसका जीवन सुखद नहीं हो सकता।
2- अगर मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुरूप भोजन नहीं करेगा तो भी उसका जीवन संकट में पड़ सकता है। भोजन के समय संकोच करना, भूख से बहुत कम भोजन करना, भोजन न करना, ऐसी आदतों से व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो सकता है और इसका असर उसके जीवन पर होता है। अ
3- भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान बहुत आदरणीय माना गया है। माता जीवन देती है और गुरु उसे जीने योग्य बनाते हैं। गुरु से विद्या सीखते समय मनुष्य को संकोच नहीं करना चाहिए। अगर मन में कोई जिज्ञासा या प्रश्न है तो उसे गुरु से अवश्य पूछ लेना चाहिए। अतः चाणक्य के अनुसार, गुरु से ज्ञान लेने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए।
1. चाणक्य ने जीवन के लिए धन को आवश्यक माना है। उनके मुताबिक अगर कोई मनुष्य धन संबंधी कार्यों में शर्म करता है तो उसका जीवन संकट में पड़ सकता है। निश्चित रूप से जो मनुष्य धन अर्जित करने में शर्म करता है, उसका जीवन सुखद नहीं हो सकता।
2- अगर मनुष्य अपनी आवश्यकता के अनुरूप भोजन नहीं करेगा तो भी उसका जीवन संकट में पड़ सकता है। भोजन के समय संकोच करना, भूख से बहुत कम भोजन करना, भोजन न करना, ऐसी आदतों से व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब हो सकता है और इसका असर उसके जीवन पर होता है। अ
3- भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान बहुत आदरणीय माना गया है। माता जीवन देती है और गुरु उसे जीने योग्य बनाते हैं। गुरु से विद्या सीखते समय मनुष्य को संकोच नहीं करना चाहिए। अगर मन में कोई जिज्ञासा या प्रश्न है तो उसे गुरु से अवश्य पूछ लेना चाहिए। अतः चाणक्य के अनुसार, गुरु से ज्ञान लेने में कभी शर्म नहीं करनी चाहिए।
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